Wednesday, September 23, 2009



किसी रेगिस्तान का एक दिन

2 comments:

डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल said...

इतने उम्दा आलेख को रोमन में पढ़ने में बहुत असुविधा होती है. आपने इसे नागरी में क्यों नहीं

HemantShesh said...

zaroor